The Shodashi Diaries

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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।

When Lord Shiva heard about the demise of his spouse, he couldn’t Command his anger, and he beheaded Sati’s father. Still, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s everyday living and bestowed him by using a goat’s head.

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

हस्ताग्रैः शङ्खचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां

लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः

Celebrated with fervor in the course of Lalita Jayanti, her devotees look for her blessings for prosperity, knowledge, and liberation, obtaining solace in her a variety of kinds as well as the profound rituals related to her worship.

लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते

Goddess also has the name of Adi Mahavidya, meaning the whole version of truth. In Vedic mantras, she's described as the Goddess who sparkles with The attractive and pure rays with the Sunshine.

The philosophical dimensions of Tripura Sundari lengthen over and above her physical characteristics. She signifies the transformative electric power of attractiveness, which might direct the devotee through here the darkness of ignorance to the light of knowledge and enlightenment.

The worship of Goddess Lalita is intricately linked Together with the pursuit of both of those worldly pleasures and spiritual emancipation.

बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥

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